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Mukund Das

Others

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Mukund Das

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शबरी!

शबरी!

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शबरी, अपने मीठे बेर खिला दे न!

तू मुझको भी राम बना दे न!


तू मिलती हर रोज़ ट्रैफिक लाईट पर बैलुन लिए,

जो बिके नहीं तो, मुझको एक बार बता दे न!


तू सोएगी भूखी नहीं, खाएगी रोटी तू सूखी नहीं,

बस, अपनी तक़दीर से मोहलत थोड़ी दिला दे न!


है सालगिरह मेरी बिटिया की जनवरी में,

आकर उसे तुम दुआ देना,

है अनुनय तुमसे -

"आ मेरे घर को अपने बैलूनों से सजा दे न!"


साहित्याला गुण द्या
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