शब्द
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शब्द में भी द्वन्द है
मैं मुक्त हूँ
कोई और हूँ..
अश्रुओं की एक पंक्ति
या कि निर्मल छोर हूँ..
जैसा इच्छुक वैसी सृष्टि
भाव, भक्ति, बोल, दृष्टि
बज गया मुझमें
तो वह है अर्थ
और मैं शोर हूँ..
शब्द में भी द्वन्द है
मैं मुक्त हूँ
कोई और हूँ।
