सावन
सावन
क्योंकि ये सावन का महीना है
मौसम बड़ा सुहाना है
बादल यूं गरज कर आज
हम पर बरसा है
ना जाने कितने महीनों बाद
सूरज ने नहीं पहचान हमें आज
हमने कितना तरसाया उसे
हरे पत्तों में लिपटी हुई उन बूंदो को आज हमने देखा है
उस लड़की की बारिश में भीगे बाल ने मुझे उसकी और खींचा है
चारो तरफ़ बज रही शहनाइयाँ
ना जाने किसकी धुन सबके कानों तक आ रही है
क्या ये रास्ते पर चलती वाहनों की आवाज़ है
या बरसात की
हम बह रहे हैं इस हवा के संग
उड़ना हमें पसंद है
नन्हीं पक्षियों के संग
श्रावण का झूला झूलेंगे आज
अपने इस मन को बहलाएँगे आज
करेंगे दोस्ती पहाड़ों के संग
जो दूर होकर नीला कपडे़ से लिपटी हुई है
पौधे ने जन्म लिया आज
ना जाने कितने दिनों बाद
गाने लगा है मन मेरा आज
सुरीली सी हो गई है मन तन्न मेरा
नाच उठेंगे आज हम
इस बरसात की महा में
क्योंकि ये सावन का महीना है।
