ऐ शिवा
ऐ शिवा
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श्रावण का महीना है ये
मेरे प्रियतम का महीना है ये
ऐ शिवा
हसरत है मुझे अब तुमसे मिलने की
जिसने मुझे हर बार हँसाया है
जिसने मेरा साथ हमेशा दिया है
ऐ शिवा
तुम ही मेरा प्रेम हो
तुम ही मेरा जुनून भी
जिनकी भक्ति के लिए आज मेरा जन्म हुआ है
आख़िर वो तुम ही तो हो
ऐ शिवा
श्रावण के इस पावन महीने में
रखा है मैंने तुम्हारे लिए व्रत
हो जाओ अब मेरी भक्ति से तुम प्रसन्न
लगा लो मुझे अपने गले से तुम
अन्यथा मेरी इस धरती पर क्या काम
ऐ शिवा
तुम ही तो हो मेरी जिंदा रहने की वजह हो
आज मैं तुम्हारे चरणों पर अपना शीर्ष झुकाती हूँ
और आशीर्वाद लेती हूँ
तुम्हारे पैरों को चूमकर मैं इस फ़रेबी दुनिया को अलविदा कहकर
सच्ची दुनिया में पहुँचना चाहती हूँ
एक बार दे दो मुझे तुम अपना दर्शन
ऐ शिवा।
