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साराँश

साराँश

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मैं हूँ साराँश,
अर्थ मुझसे झगड़ता है,
पाठ मुझे धमकाता है,
सूक्ति मेरा मज़ाक उड़ाती !

अर्थ कहता मेरे बिना तू है व्यर्थ ,
पर सच मानो मैं हूँ नहीं व्यर्थ,
पाठ के साथ हूँ मैं जुड़ा,
जहाँ पाठ चला मैं हूँ वहां मुड़ा !

मेरी अपनी शोभा है,
मेरी अपनी आभा है,
पूरे पाठ का ज्ञान शिकाता,
अपना हूँ मैं महत्त्व बताता,
मैं हूँ साराँश !


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