साँस से भी सिहर गया हूँ मैं
साँस से भी सिहर गया हूँ मैं
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साँस से भी सिहर गया हूँ मैं,
माफ़ करना कि डर गया हूँ मैं।
हँस के हर बात मान लेता हूँ,
लोग कहते हैं, मर गया हूँ मैं।
यूँ तो दिखता सही सलामत हूँ,
पर, ज़रा सा बिखर गया हूँ मैं।
इन दिनों छेड़ मत मुझे, क्यूँकि
इन दिनों खूब भर गया हूँ मैं।
अनसुनी कर के सारी आवाज़ें,
सबको ख़ामोश कर गया हूँ मैं।