रोशनी
रोशनी
कितनी भी गहरी उदासी हो,
या छाया हो घना अंधेरा,
उस मिटाने के लिए काफी है,
रोशनी की एक किरण,
रोशनी उम्मीद की,
रोशनी चिराग़ की,
रोशनी ज्ञान की।
उम्मीद की रोशनी जला देती है,
बुझे मन में दीप आशा का,
सिर्फ एक किरण मिटा देती है,
अस्तित्व गहरी निराशा का,
मिलती है जब ये रोशनी तो लगता है,
मिल गई हो खुशी जहान की।
हाथ को हाथ भी सूझता नहीं,
सामने हो के भी आता नहीं नज़र,
कौन है कहां पे समझ में नहीं आता,
किसी को नहीं किसी की खबर,
जलता है चिराग़ एक नन्हा - सा,
करता है शुरुआत जान पहचान की।
भटकते रहते हैं मेले में दुनियां के,
मिलता नहीं मंज़िल का पता,
कभी जान के तो कभी अनजाने में,
करते रहते हैं खता पर खता,
पर मिलती है जब ज्ञान की रोशनी,
छूते हैं हम ऊंचाई आसमान की।