यह इक सोज़-ए-क़लक़ है जो जलाती रही मुझे, जिससे लड़ते रहने की मुझ में और हिम्मत नहीं। यह इक सोज़-ए-क़लक़ है जो जलाती रही मुझे, जिससे लड़ते रहने की मुझ में और ह...