राम शरण में ही नेह बसे
राम शरण में ही नेह बसे
राम शरण में ही नेह बसे,
पावन प्रभु का प्रीत लिखे।
भाव जगाए निर्मल मन में,
भक्ति रूप संगीत लिखे।।
कथा कहे श्री राम चन्द्र का,
जो जीवन का सार बने।
नित्य जपो तुम नाम जगत में,
यही एक आधार बने।
आओ मिल कर हरि गुण गाओ,
ऐसी कोई रीत लिखे।
भाव जगाए निर्मल मन में,
भक्ति रूप संगीत लिखे।।
सतगुण का ही रूप दिखे ये,
सतगुण का ही भाव जगे।
सतगुण धारण कर लो प्यारे,
सतगुण का ही चाव जगे।
लोभ मोह को त्यागो अपना,
सुन्दर चाहत मीत लिखे।
भाव जगाए निर्मल मन में,
भक्ति रूप संगीत लिखे।।
करे "विजय" बखान हरि का ही,
जय-जय तुम श्री राम कहो।
शाम सबेरे भज मन प्यारे,
एक सदा ही नाम कहो।
जिसे श्रवण कर दुनिया झूमे,
आओ ऐसा गीत लिखे।
भाव जगाए निर्मल मन में,
भक्ति रूप संगीत लिखे।।
