पूरा हिंदुस्तान
पूरा हिंदुस्तान
1 min
12.8K
कहीं अल्लाह कहीं राम लिख देगें,
इंकलाब का तूफान लिख देगें।
जितना मर्ज़ी चाहे मिटा लो दुनिया वालों,
हम ज़र्रे-ज़र्रेे में हिंदुस्तान लिख देगें।
ज़मीनें बदल गई, आसमां बदल गये,
इक चादर में सोने वालों के मकां बदल गये,
इस बदलाव के नाम एक पैगाम लिख देगें,
हम हर उगते हुए माथे पे हिंदुस्तान लिख देगें।
सच की तलाश में आइने निकल गये,
अंधेरा इतना गर्म है कि ऊजाले पिघल गये,
हम ऐसे मौसम के नाम फ़रमान लिख देगें,
मंदिरों की हवाओं पे अ-सलाम लिख देगें।
ना रहे राज कोइ ना राजदारी रहे,
दुनिया में कुछ रहे तो ईमान और वफ़ादारी रहे,
हर बिगड़े हुए ईमान को बेईमान लिख देगें,
हम हर ज़ुबां पे सर-ज़मीनें हिंदुस्तान लिख देगें।
