माँ की दुआ
माँ की दुआ
1 min
161
रंज खून का क्यों हवाओ में है !
ये कैसा बेगानापन फिज़ाओ में है !!
आग़ोश में आकर के टूट जाती है हसरतें !
ये कैसा बल नफरत की भुजाओ में है !!
किस्मत बहुत दूर ...बहुत दूर,
जाकर खाली हाथ लौट आती है !!
कैसा कश्मकश सारी दिशाओ में है !!
तू जिस कदर भी बुरा हो सकता है, जा हो जा ऐ मुकद्दर !
तुझमे वो दम कहाँ, जो मेरी माँ की दुआओ में है !!
