पुराना मकान
पुराना मकान
जो आज पुराना है वह कभी नया हुआ करता था
सब लोगों के आकर्षण का केन्द्र हुआ करता था
सजती थीं हजारों महफिलें चलते थे जामों के दौर
हुस्न पे मरने वालों का यहां मेला लगा करता था
सरगम की सरिता बहती थी घुंघरू बोला करते थे
शहर के परवाने शमा पे जलने को डोला करते थे
चांद आंगन में उतरता था चांदनी थिरका करती थी
लबों पे मुस्कान आंखों में मदहोशी हुआ करती थी
उनकी हर अदा नायाब, कातिलाना हुआ करती थी
आशिकों के दिल पे छुरी चलाने का काम करती थी
लचकती कमर मटकते नैन थिरकते पांव लूट लेते थे
सांचे में ढले बदन को छूने की तमन्ना हुआ करती थी
आज वो "पुराना जनानखाना" सूना सा पड़ा हुआ है
अपने अतीत को याद करके सौ सौ आंसू बहा रहा है
पुराने लोग, पुराने रिश्ते अप्रासंगिक हो गये हैं शायद
वो पुराने मूल्यों का वैभव अब खो गया सा लगता है.
