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Manisha Gupta

Others

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Manisha Gupta

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पत्र जो लिखा पर भेजा नहीं

पत्र जो लिखा पर भेजा नहीं

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समय की गति कितनी बढ़ती चली गई

आज खोली जो डायरी एक पत्र मिल गई

उस पत्र को मैने ही लिखा था

अपने मन की बातों को उसमे पिरोया था


पर न जाने क्यो उसे न भेज पाई

आज उसे पढ़ने पर फिर

तुम्हारी याद आ गई

तुम्हारे चाहत की अलफाज है इसमे


इसमे पिरोयी थी हमारे हर वादे कसमें

चाह कर भी तुम्हें न भेज पाई थी

और चाह कर भी तुम्हारी न हो पाई थी

यही वह पत्र,

जो तुम्हें न भेज पाई थी


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