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Nikita Bagga

Children Stories children

4.5  

Nikita Bagga

Children Stories children

पिपीलिका

पिपीलिका

1 min
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चींटी को देखा ? 

वह सरल ,विरल ,खाली रेखा

तुम के तागे- सी जो हिल- डुल,

चलती लघुपत पल-पल मिल-जुल

वह है पिपीलिका-पाँति

देखो न, किस-भाँति,

काम करती वह सतत,

कन-कन करके चुनती अविरत।

गाय चराती, धूप खिलाती,

बच्चों की निगरानी करती।

लड़ती, अरि से तनिक न डरती

दल के दल सैना संवारती,

घर, आंगन, जनपथ बुहारती ।

देखो, वह वल्मीकि सुघर, 

उसके भीतर है दुर्ग, नगर,

अद्भुत उसकी निर्माण-कला, 

कोई शिल्पी क्या कहे भला,

उसमें है सौध, धाम जनपथ,

आंगन, गो-गृह, भंडार अकथ।

हैंड डिंब-सद्य, वर शिविर रचित,

इयोढ़ी बहु, राजमार्ग विस्तृत

चीट़ी है प्राणी सामाजिक, 

वह श्रमजीवी, वह सुनागरिक।



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