पिछले दिनों!
पिछले दिनों!
1 min
14.2K
आज मैंने बड़े दिनों बाद
स्वयं को देखा,
फिर स्वयं से मिला।
देखा, उन मुरझाये फूलों को
जिन्हें पानी देना भूला रहा था, पिछले दिनों।
वह गिलहरी भी उदास मिली
जिसे देख मैं खुश होता था
अपनी उदासी के दिनों में।
और कमरे का वह उदास कोना भी मुझे ढूंढता मिला
जहाँ बैठ मैंने पढ़ीं थीं सैकड़ों कहानियाँ
जिन्दा रहने के लिए।
उन सब की आँखों में शिकायतें थी।
मेरी आँखें झुक गईं
पिछले दिनों के लिए।
पिछले दिनों मैं प्रेम करता रहा था।
प्रेम का तूफान अपनों को भुला देता है।
