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AJAY AMITABH SUMAN

Others

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AJAY AMITABH SUMAN

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ऑफिस में भूचाल आ गया

ऑफिस में भूचाल आ गया

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ऑफिस में भूचाल आ गया,

लो फिर से चांडाल आ गया।


आते हीं आलाप करेगा,

अनर्गल प्रलाप करेगा,

हृदय रुग्ण विलाप करेगा,

भाँति भ्रांति अशांति सन्मुख,

जी का एक जंजाल आ गया,

लो फिर से चांडाल आ गया ।


अब कोई संवाद न होगा,

होगा जो बकवाद हीं होगा,

अकारण विवाद भी होगा,

हरे शांति और हरता है सुख,

सच में हीं बवाल आ गया,

लो फिर से चांडाल आ गया।


कार्य न कोई फलित हुआ है,

जो भी है, निष्फलित हुआ है,

साधन भी अब चकित हुआ है,

साध्य हो रहा, हार को उन्मुख,

कुकर्म घृणित महाकाल आ गया,

लो फिर से चांडाल आ गया।


धन धान्य करे संचय ऐसे,

मीन प्रेम बगुले के जैसे,

तुम्हीं बताओ कह दूं कैसे,

कर्म बुरा है मुख भी दुर्मुख,

ऑफिस में फिलहाल आ गया,

हाँ फिर से चांडाल आ गया।

कष्ट क्लेश होता है अक्षय,


हरे प्रेम बढ़े घृणा अतिशय,

शैतानों की करता है जय,

प्रेम ह्रदय से रहता विमुख,

कुर्म वाणी विकराल आ गया,

लो फिर से चांडाल आ गया।

कोई विधायक कार्य न आये,

मुख से विष के वाण चलाये,


ऐसे नित दिन करे उपाय,

बढ़े वैमनस्य, पीड़ा और दुख,

ख़ुशियों का अकाल आ गया,

लो फिर से चांडाल आ गया।

बतलाये खुद को वो ज्ञानी,

पर महाचंड वो है अज्ञानी,


मूर्खों में नहीं कोई सानी,

सरल कार्य में धरता है चुक,

बुद्धि का हड़ताल आ गया,

लो फिर से चांडाल आ गया,


आफिस में भुचाल आ गया ,

देखो फिर चांडाल आ गया।



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