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Shubha Shukla

Others

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Shubha Shukla

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नोटबंदी

नोटबंदी

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एक दिन हमसे स्वामी ने पूछा कितनेss रुपए हैं दो हजार के 

हमने कहा क्यों उड़ते मजाक हो अब तो चले गए दिन बहार के

दूध जला तो छाछ भी फूंक के पीता है बढ़ते कदम भी दो बार पीछे खींचता हैं

फिर ये तो नोटों की बात है इनसे अपना जीवन मरण का साथ है।

अब पुरानी गलतियां, मैं तो क्या कोई भी पत्नी नहीं करेगी  

क्योंकि वो भली भांति जानती कि इस बार उसकी दाल बिल्कुल नहीं गलेगी

पिछली बार तो शराफत से मिल गए थे पांच सौ के बदले नोट दस हजार के

अब के निकले जो इतने नोट प्यारे तो आएंगे सीधे घर के बाहर में

हमने कहा इस बार एक बात बहुत अच्छी है पतिदेव जी

पिछली बार धोखा खाए थे न इस बार धोखा नहीं खायेंगे 

इस बार दो चार से ज्यादा रखे ही नहीं नोट दो हजार के

पुरानी गलतियों से कुछ तो सीख पाएंगे

आप तो मेरा और बच्चों का पूरा पूरा ध्यान रखते हो 

रोटी कपड़ा मकान और सारी सुविधायें हमें देते हो 

साल में दो चार बार बाहर घुमाने भी ले जाते हो

और कभी कभार तोहफे भी लाकर दे ही देते हो 

पर वो क्या है ना हम औरतों को पति की आय में बरकत बढ़ाने की बीमारी है

सो ऐसा करना हमारे लिए जुर्म नहीं बल्कि लक्ष्मी को प्रसन्न करने की खुमारी है 

किसी विद्वान विदुषी ने प्राचीन काल से एक बात भारतीय महिलाओं में धर कर दी 

कि पति के जेब से कुछ पैसे निकालने से उनकी आय में अनवरत वृद्धि होगी 

बस फिर क्या हम ये प्रयास बारमबार करने लगे और काफी सारे पैसे जमा भी कर लिए

इन पैसों का एक लाभ ये हुआ कि आपात कालीन जरूरत में हम इनको खर्च करने लगे

और ऐसे ही बचत के फायदे भी समझ लिए

पर अब जाकर समझे हैं कि कभी कभी नेकी करने के भी दुष्परिणाम भुगतने पड़ जाते हैं 

जिन के लिए हम इतनी बड़ी रिस्क उठाते हैं उन्हीं के तानों की बौछार भी झेल जाते है

और अचानक से यदि पीएम रातों रात नोट बंदी का आदेश सुना दे

तो सर पर बिजली जो गिरती सो गिरती पूरे घर परिवार के निशाने पर भी आ जाते हैं।



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