Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Ankur Govind

Others

4.3  

Ankur Govind

Others

मुझको ये तुमसे कहना था

मुझको ये तुमसे कहना था

1 min
7.3K


मुझको ये तुमसे कहना था,
कह ना पाया चुप रहना था |

पतझड़ के झड़ते पत्तों को ,
डाली से फिर कब जुड़ना था । 
सावन की झड़ती बूँदोंं को,
बादल से फिर कब मिलना था ।

सागर की उठती लहरों को ,
तट पर आकर कब रुकना था । 
जीवन के पथरीले पथ पर ,
ये हाथ पकड़ कर कब चलना था ।

मुझको ये तुमसे कहना था,
कह ना पाया चुप रहना था ।

तेरे बढ़ते इन कदमोंं को ,
पीछे मुड़कर कब रुकना था | 
सूरज की ढलती किरणों को ,
अम्बर में ही क्यों मिलना था |

मुझको ये तुमसे कहना था,
कह ना पाया चुप रहना था

कल -कल बहते इन झरनो को ,
नीचे गिरकर कब उठना था | 
खिलते फूलों की कलियों को ,
मुरझाकर ही क्यों गिरना था |

शायद मेरी ही गलती थी ,निश्छलता का दुःख सहना था | 
मुझको ये तुमसे कहना था,
कह ना पाया चुप रहना था |


Rate this content
Log in