मस्ती हमें छोड़ कर चली गई
मस्ती हमें छोड़ कर चली गई
एक था बचपन एक था बचपन
बचपन की निर्दोष शैतानियां थीं
हर समय खेलकूद और मस्ती थी
साथ में पढ़ाई भी भरपूर थी
घर में सबसे छोटी थी
लगा नहीं कि कभी बड़ी भी हो जाऊंगी
और इन निर्दोष शैतानियां और मस्ती से मैं दूर हो जाऊंगी
और यह मुझे छोड़कर चली जाएंगी क्योंकि सबकी प्यारी थी बहुत शैतानी बहुत मस्ती
सब कुछ अच्छे बढ़िया चलता था कभी-कभी मां कहती थी, अब तो तुम बड़े हो गए हो
अब तो बड़ी हो जा बाई ,
थोड़ी मस्ती कम और थोड़ी नाजूकता को ग्रहण करो
थोड़ा लड़कियों जैसी रहो
बहुत हो गई मस्ती
मगर हम तो ठहरे मस्तीखोर
प्यारे भाई की बहन उसके साथ मस्ती करने में बहुत आता था मजा
समय बदला उसकी हो गई शादी
घर में आ गई भाभी, और हम कब बड़े हो गए पता ही नहीं चला
और हमारे वह मस्ती हमको छोड़कर जा चुकी थी
उसकी जगह शांत और शाणी विमला आ चुकी थी.
