मस्ती भरे इशारे
मस्ती भरे इशारे
समय था बचपन का,
बच्चों की मस्ती भरी टोली का,
इशारों इशारों में आज किस को नचाना है ।
आज बलि का बकरा किसको बनाना है।
फिर पूरी मस्ती के साथ मौज मनाना है ।
कभी-कभी तो हम भी इसका शिकार हो जाते थे।
आपस की मस्ती में कभी हम भी उनके झांसे में आ ही जाते थे ।
मगर जो भी कहो समय बहुत प्यारा था
सब समय से न्यारा यह बचपन का प्यारा साथ था
अपना क्या खुशमिजाज मस्तीखोर होते थे।
फिर कितना हंसते कि हंसते-हंसते आंखों में पानी आ जाता था ।
आज वे सपने सपने ही रह गए। क्योंकि हमारे प्रियतम तो इशारों में बात करते ही नहीं।
इतने सीधे साधे हैं कि इशारों की भाषा भाषा समझते ही नहीं।
तो इशारों में बात करना भी सब छूट ही गया है।
मगर आज वापस आपकी बातों से इशारों इशारों से बात करने का मंजर याद आ गया है।