रेनू जैन 'अक्स'
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कोई सन्त महात्मा हो !
तुमसे भेंट होते ही,
पीड़ा से तड़पती
पल पल त्राहि त्राहि करती
अपनी सखी के मुख पर
एक असीम सुकून,
एक अद्भुत स्मित देखा है मैंने।
रात रात भर करवटें बदलती,
अब गहरी मीठी नींद सोई थी।
तब एक दीप जला...
आ पावक तू सीं...
मृत्यु - २
मृत्यु - १