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Sugandh Jha

Others

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Sugandh Jha

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मरके भी ज़िन्दा रहूंगी

मरके भी ज़िन्दा रहूंगी

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" मरके भी ज़िन्दा रहूंगी "

ग़र छोड़ दूँ जहाँ तो क्या 

 यादों में सांस लूंगी
 मरके भी ज़िन्दा रहूंगी

बनके कभी आवाज़,छेडूंगी दिल के तार 
घुँघरू बंधे पैरों में,थिरकूंगी मैं कभी

कभी ओढ़के कई रंग कैनवास पर दिखूंगी
अभिनय किसी का बनके,दिल सबका जीत लूंगी

कभी शायरी बनकर मैं,लूटूंगी वाह-वाही 
बनके कभी कहानी,मिलती रहा करुँगी

कभी कलम के ज़रिये,शब्दों में जी उठूंगी
पर दिल से ना मिटूंगी,यादों में सांस लूंगी
दुनिया के हर हुनर में,मरके भी ज़िन्दा रहूंगी!!


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