मनुष्य
मनुष्य
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अहिंसा का नारा लेकर निकले थे जो,
वह स्वयं हिंसा के शिकार बन गए जो।
सिखाए थे उन्होंने जो पाठ हमें,
अब वह बस उनके विचार बन गए।
अत्याचार करना लोगों के लिए कठिन न रहा,
यह तो उनके व्यापार बन गए।
जो दबा कर चले यहां दूसरों को,
वहीं जग में समझदार बन गए।
ईमानदार को बनाया गुलाम,
और बेईमान ही सरकार बन गए।
परंतु जिहने छोड़ा इन सब बुराइयों को,
वह मनुष्य ही तो प्रभु के चमत्कार बन गए।