मकर सक्रांति ( 15 )
मकर सक्रांति ( 15 )
जब होता है सूर्य का,
उत्तरायण और राशि मकर में प्रवेश,
तब आता है पर्व मकर सक्रांति का,
इस दिन दान-पुण्य का बड़ा महत्व,
वस्त्र-तिल-गुड़ और खिचड़ी का दान,
गायों को चारा खिलाना सबसे महान,
साथ में पतंगों उड़ाने की उमंग,
इस दिन से हो जाता "मल-मास" खत्म,
मकर सक्रांति के बाद से ही
शुभ-कामों का समय हो जाता शुरू,
इस पर्व पर सबको रखना है ध्यान,
पतंगबाजी का खेल जो तुम खेल,
काटो पतंगे खूब और मझे खूब लो,
पर ध्यान रखना बस इतना तुम,
कटे न किसी बेजुबान पंछी का पंख, क्यों
कि..........,
तुम काम में लोगे चीनी-माझ्या सब,
ये डोरी कम नहीं तलवार की धार से,
पतंगों के संग उड़ते पंछी के कटे नहीं पंख,
न उड़ सके न मर सके हो जाए वो घायल,
तड़फ-तड़फ कर निकले उसके प्राण,
हम सब मनाए अपना पर्व हो कर इस पाप से अनजान,
ये धरती और गगन हम सबका है,
पंछियों का भी उतना है अधिकार,
जियो और जीने दो रखो यही विचार,
ये सब जानकर भी मत बनना तुम नादान,
हम सब है इंसान ज्यादा समझदार,
हम हमारी खुशी के कारण क्यों ?
बन जाय बेजुबान के लिए हैवान !!
