मेरी यही गजल है
मेरी यही गजल है
आने वाले नये वर्ष में, मेरी तो यही फजल है।
जियो और जीने दो सबको, कहती मेरी गजल है।।
आने वाले नये वर्ष में---------------।।
सोचता हूँ करूँ मैं भी वही, जो मेरे साथ किया है।
दिखाकर झूठे सपने ,जिन्होंने मुझको बर्बाद किया है।।
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करो मत धोखा किसी से, खाकर धोखा किसी से ।
उपकार उसका भी कर दो,चोट खाई है तुमने जिससे।।
शर्म आयेगी उसको एक दिन ,जिसने तुम्हें दिया जहर है।
जियो और जीने दो सबको, कहती मेरी गजल है ।।
आने वाले नये वर्ष में---------------।।
बात इंसानियत की होगी तो, इंसानियत बचेगी।
इन जाति धर्मों के झगड़ों से ,क्या मानवता बचेगी।।
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तुम इंसान बनकर जीना, सभी का प्यार मिलेगा।
मिलेगी सबसे दुआयें, हर कोई इंसान दिखेगा।।
जाति - धर्मों के बलवों से ,नहीं वतन में चैनो- अमन है।
जियो और जीने दो सबको , कहती मेरी गजल है।।
आने वाले नये वर्ष में---------------।।
बहुत है मुद्दे सुलझाने को, यारों अपने वतन में।
कब होगी खत्म भूख, गरीबी, बेरोजगारी यारों वतन में।।
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चिराग वहाँ हम जलाये, जिनके घर रोशन नहीं है।
भूख से जहाँ होती है मौतें, जिनका कोई घर नहीं है।।
सपने इनके भी हो मुकम्मल, रब से मेरी यही मिन्नत है।
जियो और जीने दो सबको, कहती मेरी गजल है।।
आने वाले नये वर्ष में ------------------।।
