मेरी माँ
मेरी माँ
तू जागती है, तब वो सोता है,
बच्चा क्या कभी माँ से अलग होता है,
तेरे आंचल की छांव में जब वो कभी रोता है,
भीगती है पलकें तेरी भी क्या वो कभी देखता है?
माँ तो इस जगत में परमात्मा के प्रेम का स्वरूप है,
एक बच्चे की वो इस जगत में सर्वप्रथम गुरु है।
क्या मै तेरे इस प्यार का मोल कभी चुका पाऊंगी,
वो दर्द, वो तकलीफ जो तूने सही मुझे पैदा करने में,
क्या मै उसके दसवें हिस्से के भी बराबर
खुशियां तुझे दे पाऊंगी?
माँ तो बच्चे की सुरक्षा का कवच होती है,
भीड़ जाए जो यमराज से भी, वो अदम्य शक्ति होती है,
शक्तिहीन वो होते है जिनकी माँ उनके साथ नहीं होती,
जिसकी शक्ति दूध बनकर उनकी रगों में दौड़ नहीं होती।
माँ मेरी है एक ही ख्वाहिश,
के तुझे मै दूँ वो खुशियाँ सारी,
जिन पर है अधिकार तुम्हारा,
क्योंकि तुमने है मेरा जीवन संवारा।
