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MERE EHSAS TERI KHAMOSHI

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MERE EHSAS TERI KHAMOSHI

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मेरी जिंदगी

मेरी जिंदगी

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पल-पल इम्तिहान लेती

रही जिंदगी

राह के फूलों को भी कांटे

बनाती रही जिंदगी

कभी बैठना चाहा छाँव में

तो धूप ही धूप दिखाती

रही जिंदगी


सह लिया सब मुस्कुराहट

के साथ

फिर भी हर पल उलझाती

रही जिंदगी

कर लिया इश्क खुद से

खुद को ही मिटाती

रही जिंदगी


अंचल में खुद के चाही

मैंने सुकून की जिंदगी

उसमें भी सदा आग

बरसाती रहे जिंदगी।            

   


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