मेरी इबादत(आज के प्यार का सच)
मेरी इबादत(आज के प्यार का सच)
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नूरे जहाँ का जिक्र किया तो
जुबाँ पे बस तेरा नाम आया,
इबादत के लिये सजदा किया तो,
आँखो में बस तेरा अक्स आया।।
नूरे...
कैसी ये दुनिया कैसे लोग यहाँ पर
पल पल बदलते है जज़्बात जहाँ पर,
कभी किसी के, कभी किसी के,
पल में ही साथी कोई दूजा बनाया।।
नूरे...
प्यार नहीं है जैसे हो कोई खिलौना
नया नया है जब तक है सलोना,
मन भर आया तब इसे ठुकराया,
आँखो में फिर से नया चेहरा सजाया।।
नूरे...
गुजर चुका है वो वक्त पुराना
प्यार के लिये जग से लड़ जाना,
महान थे वो लोग दीवाने,
ताउम्र जिसने साथी इक ही बनाया।।
नूरे...
बेवफ़ाई जो तेरी आँखो में गर समाये,
आखिरी साँस बन जाये वो मेरी,
माँगू रब से तुझे ही साथी दोबारा ।।
नूरे...