मेरी भाषा
मेरी भाषा
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मेरी भाषा ने
दूर देश से आए
भाषा के शब्दों को
दिया है स्थान अपने घर में
बिना भेदभाव के अपनाया उनको
स्कूल, स्टेशन ,
वकालत, हुजूर
साहब, फरमान, इमान
आदि ...आदि... आदि....
यह शब्द बस गए मेरी भाषा में
होकर रह गए मेरी भाषा के
मेरी भाषा ने पैदा किए हैं
संस्कार- सभ्यता
शालीनता- मानवता
मेरी भाषा ने सिखाए हैं
सत्य -अहिंसा
प्रेम -कर्तव्य
मेरी भाषा ने
तय किया है सफर
गांव की पगडंडी से लेकर
राजधानी की लंबी- चौड़ी
काली चकाचौंध
लाइट लगे रोड तक
मेरी भाषा मिलाती है
एक दूसरे को
रेलवे लाइन की तरह
क्योंकि
मेरी भाषा तोड़ना नहीं
जोड़ना जानती है।
