"मेरे सपनों का आकार"
"मेरे सपनों का आकार"
हर पल जीता हूँ उसके लिए,
हर पल लड़ता हूँ उसके लिए,
कभी न कभी तो होगा साकार,
मेरे सपनों का आकार...
है थोड़ा छोटा सा,
पर बड़ा बनाने की
क्षमता मैं रखता हूँ ,
है थोड़ा कठिन,
पर आसानी से
पाने की क्षमता मैं रखता हूँ
प्रयत्न सदा यही रहेगा,
कभी ना किसी को हो धिक्कार,
कभी न कभी तो होगा साकार,
मेरे सपनों का आकार...
मंजिल तक पहुँच जाऊँगा,
इतनी क्षमता मैं रखता हूँ ,
हर कठिनाई काे पार करूँगा,
इतनी क्षमता मैं रखता हूँ ,
जीत मेरी हो,
केवल इतनी सी है दरकार,
कभी न कभी तो होगा साकार,
मेरे सपनों का आकार...
काैन कहता है खुली आँखो से
सपनें देखना गुनाह है?
काैन कहता है असंभव को
संभव करना नामुमकिन है?
दृढता से हर स्वप्न
जरूर करेगा इकरार,
कभी न कभी तो होगा साकार,
मेरे सपनों का आकार...
इच्छा काे हकीकत में
बदलने की चाह है,
नन्ही सी जान को
चाँद-ताराें की चाह है,
तितली की उड़ान से
हवाईजहाज की उड़ान तक
अंतरिक्ष में घूमने-फिरने की चाह है...
अब चले जाना है इसके पार,
यही इच्छा है बार-बार,
तभी तो होगा साकार,
मेरे सपनों का आकार..