मेरे शिक्षक
मेरे शिक्षक
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मेरे शिक्षक ,
न जाने कैसा
पढ़ना लिखना
सिखला गये ...
हाथों में कौन सी
स्लेट पकड़ा गए ...
कोई भी
कागज़ का टुकड़ा हो
पढ़ने लगती हूँ ...
कैसी भी कलम हो
लिखने लगती हूँ...
जीवन के हर क्षण में
कुछ जीने लगती हूँ ...
छोटे से छोटे कण से
कुछ सीने लगती हूँ...
सिखलाया
हारना नहीं ..
हर क्षण ,
इतिहास बदलने का
क्षण होता है...
हमेशा ,
नया इतिहास
गढ़ना बतला गये...
नमन है उन सबको
( चाहे वो
कोई हों ,
कितने हों ,)
जो 'जीवन' को
जीना सिखला गये ...।।।