मेरे दिल में कोई ग़ालिब सा था
मेरे दिल में कोई ग़ालिब सा था
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झुमके पहनना बाज़ार में मुनासिब ना था
मेरे दिल के अंदर कोई ग़ालिब सा था
वैसे दुपट्टे को लपेटने कि हिदायत दी थी मुझको,
मेरा पर्दा उनकी दिल-ऐ-बेहयाई से वाक़िफ़ ना था
झुमके पहनना बाज़ार में मुनासिब ना था
मेरे दिल के अंदर कोई ग़ालिब सा था
उसने नज़रें नीची रखने कि तालीम दी थी मुझको,
वो कोई और था मेरा आशिक ना था
झुमके पहनना बाज़ार में मुनासिब ना था
मेरे दिल के अंदर कोई ग़ालिब सा था
मैंने हार कर हया, दुपट्टा, झुमके बक्से में बंद कर डाले,
मेरा बक्सा बाज़ार के माफ़िक़ ना था
झुमके पहनना बाज़ार में मुनासिब ना था
मेरे दिल के अंदर कोई ग़ालिब सा था!