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Vinita Shah

Children Stories

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Vinita Shah

Children Stories

मेरा बचपन

मेरा बचपन

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दीपों की इन मालाओं में, 


आज पुनः मैं उत्साहित हूँ, मेरा बचपन लौट रहा है। 


क्या भूलूँ क्या याद करूँ मैं, आनंदित इन अहसासों में, 


फिर से वही सब देख रही मैं, बच्चों की इस पंचायत में, 


आज पुनः मैं उत्साहित हूँ, मेरा बचपन लौट रहा है। 


घर की साफ़ - सफ़ाई हो या हो पकवानों का बनना, 


फुलझड़ियों की लड़ियाँ हो या पट्टाखों का बजना।


आज पुनः मैं उत्साहित हूँ, मेरा बचपन लौट रहा है। 


बच्चों का वो पास में आना, माँ क्या-क्या है तुम्हें बनना।


इन सब बातों को पूछे जाना, माँ की याद दिला रहा है। 


आज पुनः मैं उत्साहित हूँ, मेरा बचपन लौट रहा है। 



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