मेरा अक्स
मेरा अक्स
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दूर से देखा
किसी के साथ जा रहा था वो
आवाज़ आ रही थी जैसे
गुनगुना रहा था वो
मस्ती में चलता ऐसे
इतरा रहा था वो
नज़दीक पहुंचे तो
तस्वीर ही बदल गयी
न चाहते हुए भी
आंखें मचल गयी
अकेला ही था वो उस दिन
लड़खड़ा रहा था वो
वो रो रहा था उस दिन
घबरा रहा था वो
दूर से न पहचाना
वो कौन शख्स था
कोहरा घना था उस दिन
तो हमारा ही अक्स।