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Tushar Sharma

Others

5.0  

Tushar Sharma

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मैं था तो नहीं

मैं था तो नहीं

1 min
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मैं था तो नहीं मौसम,

फिर भी बदलता रहा हूँ,

कभी दायरों में उन्मुक्त,

कभी आसमाँ सा सीमित

रहा हूँ !


मैं था तो नहीं चाँद,

फिर भी घटता बढ़ता रहा हूँ,

कभी उसके दुःख पर खुश,

कभी अपने एहसान भूलता रहा हूँ !


मैं था तो नहीं वक़्त,

फिर भी देखो चलता रहा हूँ,

कभी काफिले रात में बांधता,

कभी सूरज सा पिघलता रहा हूँ !  


मैं था तो नहीं आवाज़,

फिर भी कहता सुनता रहा हूँ,

कभी सन्नाटे की फुसफुसाहट,

कभी शोर में चीखता रहा हूँ !



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