मैं सूर्य के तेज़ प्रताप सा...
मैं सूर्य के तेज़ प्रताप सा...

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मैं सूर्य के तेज़ प्रताप सा नहीं।
पर दीपक की रोशनी सा हूँ मैं !!
मैं आसमान की तरह विशाल सा नही।
पर मुट्ठी भर उम्मीद सा हूँ मैं ।।
मैं इत्र के समान सुन्धित सा नहीं
पर फूलों की भीनी भीनी महक सा हूँ मैं
मैं गीता का ज्ञान सा नहीं
पर नवजात की नन्ही निश्छल मुस्कान सा हूँ मैं
मैं हिमालय के समान शीतल सा नहीं
पर विकट परिस्थिति में शांत सा हूँ मैं
मैं समुद्र के तरह गहरा सा नहीं
पर नदी की तरह सदैव बहता पानी सा हूँ मैं
मैं चाँदनी के रात सा नहीं
पर जुगनू के रोशनी के यार सा हूँ मै
मैं ब्रह्मांड के समान विशाल सा नहीं
पर सबके दिल में समा जाने के समान सा हूँ मैं