Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Himanshu Rai

Others

4  

Himanshu Rai

Others

मां

मां

1 min
281


क्या और कितना लिखूं मैं मां आपके लिए,

मुझे समझ में नहीं आता है।

कितना भी लिख लूँ मैं मां आपके लिए,

आपके प्यार के आगे सब कम पड़ जाता है।

बहुत देर से मुझे समझ आया कि, आप मुझसे कितना प्यार करती थी।

क्यूं मुझे हर बात पे डांटा

या समझाया करती थी।

क्यूं मुझे कभी पढ़ने के लिए कहती थी , 

तो कभी– कभी मेरे साथ खेलने लगती थी।

क्यूं कभी –कभी मुझे शरारतें करने से मना करती थी ,

 तो कभी– कभी मेरे साथ खुद मिल के शरारतें करने लगती थी।


क्यूं कभी– कभी बहुत गुस्से से ,

तो कभी -कभी बहुत प्यार से बाते करने लगती थी।

मुझे कितना कुछ दिया है मां आपने,

लेकिन कभी कुछ वापस क्यों नहीं लिया मां आपने।

मेरी हर खुशी और हर दुख में साथ दिया मां आपने,

तो फिर क्यों अपने दुख का साथी नहीं बनने दिया मां आपने।

आप मुझसे कितना प्यार करती थी 

ये तो दिखा दिया आपने,

लेकिन मैं आपसे कितना प्यार करता हूं ,

ये देखने से पहले ही ,

 मुझे क्यों छोड़ दिया मां आपने।


क्या और कितना लिखूं मां आपके बारे में,

मुझे समझ में नहीं आता है,

कितना भी लिख लूँ मैं मां आपके लिए 

फिर भी आपके प्यार के आगे सब कम पड़ जाता है।


Rate this content
Log in

More hindi poem from Himanshu Rai