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Aditya Agnihotri

Others

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Aditya Agnihotri

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लोकतंत्र की गर्दन काट के

लोकतंत्र की गर्दन काट के

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लोकतंत्र की गर्दन काट के लटका दी चौराहे पर 

लोकतंत्र की गर्दन काट के लटका दी चौराहे पर

पर।

पर क्या?

पर कुछ नहीं हुआ, कुछ भी नहीं हुआ,

उसकी गर्दन से खून टप टप कर के गिरता रहा, देशवासी उससे तिलक लगाने लगे थे

जैसे माता का जगराता होता है न, वैसे ही लोकतंत्र का जयकारा लगने लगा 

एक सज्जन ने पूँछ लिया कि भैया इसका धड़ कहाँ है?

तो सरकार ने बताया कि इकठ्ठा अच्छा नहीं लग रहा था, तो उसे हमने आपस में बाँट लिया है।

हड्डियाँ निकाल के कुत्तों को दे दी हैं। गुदाद्वार चाटने के लिए सूअर हमारे पास है ही।

अंतड़ियाँ हमने खुद डकार लीं है, बाकी मांस नोचने के लिए गिद्ध हमने पाले ही हैं। 

ये प्रभावी भाषण देते वक़्त वक्ता की छाती 56 इंच की हुई जा रही थी। 

उनने बाद में इसके लाभ भी समझाए कि

इंसानों को तो दिमाग खाना पसंद है इसलिए मुंडी आप चेक कर लीजिये।

उसमे दिमाग ही भरा है हमने भूसा नहीं।  

मैंने लोगों से जा के पूंछा, कैसा लग रहा है?

कहते लगे-

अच्छा रहा वैसे ये, सामने टांग दिया है न,

अब जिगर के पास नहीं, नज़र के सामने तो रहता है न

तभी मीडियाकर्मी आ गये, फ़ेक न्यूज़ फ़ैला दी कि लोकतंत्र न मर गया है

हाँ, वो मुझे पता है कि उनका काम अब वही हो गया है।

फिर क्या

केस चला, सुनवाई हुई

जांच में पाया गया कि वो रोहित वेमुला जैसे ही लोकतंत्र ने आत्महत्या की थी

उसे मारा थोड़ी गया था , है न? 

सबूत भी दिया गया कि उसकी आँखे देखो केसी फटी हुई सी बाहर निकल आई हैं

किसी ने दलील पेश नहीं की कि वो नंगा नाच नहीं देख पा रहा था 

कुछ ने कहा कि ये लोकतंत्र न, था बहुत ख़राब

दिमाग पे दबाव बहुत डलवाता था, वो नागरिक वाली ज़िम्मेदारी निभाने को कहता था,

जुबान चलानी पड़ती थी, कोई कुछ कह दे तो सुनना भी पड़ता था।

अब शान्ति है, मस्त सन्नाटा है, सुकून है 

क्लेरिटी है, क्या खाना है पहनना है कहाँ जाना है सब सरकार तय कर ही देती है।

जुबां तो शुरू शुरू में कटवा ली थी तो बोलने की अब ज़रूरत नहीं पड़ती।

रीढ़ की हड्डी भी निकलवा ली, तो सीधे खड़े होने की भी गुस्ताखी भी नहीं करते 

लेते रहते हैं, चरणों के सामने मस्त शास्टांग

खैर अच्छा है न, अच्छा है, सब याद तो कर रहे हैं।

महापुरुषों के साथ भी ऐसा ही होता है 

जीते जी बेईज्ज़ती और मरणोपरांत छुट्टी जयंती पर 

लोकतंत्र की गर्दन काट के लटका दी चौराहे पर 

लोकतंत्र की गर्दन काट के लटका दी चौराहे पर।



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