STORYMIRROR

Rakshita Batra

Others

4  

Rakshita Batra

Others

लम्हें

लम्हें

1 min
386

ज़िन्दगी की खूबसूरती का राज़,

अलमारी की तरह सिमटी हुई,

कुछ खट्टी कुछ मीठी,

कुछ दिल को छू गई,

कुछ दुबारा जीने की चाह दिला गई,

कुछ ने आंसू की बरसात करवाई,

कुछ ने प्यारी सी मुस्कुराहट लाई,

कुछ संगीत के सुरों में बहा गई,

कुछ हसीन चेहरे सामने लाई,

कुछ चेहरे पर चमक लाई,

खुशियों की लहरों की बहार लाई,

जब भी इन पलों को पीछे मुड़कर देखो

तो बहुत कुछ सीखती हूं ।।


स्नेह करना सीखती हूं ज़िन्दगी से

और उन इंसानों से जिन्होंने

मेरी ज़िन्दगी खूबसूरत बना दी

और प्रकृति जो मेरे हर यादों का सबसे अहम हिस्सा है।।


मेरी ज़िंदगी की किताब के हर एक पन्ने पर

तजुर्बों से पलों का पहाड़ है जो केवल शब्दों में ही नहीं

पर महसूस करते हुए और सोचते हुए भी

मैं भगवान को शुक्रिया करती हूं कि

मैं वो सब जी पाई और जी पाती हूं।।


वह जो अलमारी यादों कि उसे हमेशा जब भी खोलती हूँ तो

सोचती हूं अगर कोई यादों को महत्व नहीं देता

तो शायद ज़िन्दगी का मतलब और मकसद नहीं जानता।।


हमेशा इन यादों को संभाल कर रखना चाहती हूं

और आने वाली यादों का भी एक - एक अंग

और रंग महसूस करना चाहती हूं।।


क्यों ना उस अलमारी को हमेशा खुला रखे

और वो बीते पलों को भावनाओं के रूप में

महसूस करते रहे और और यादें बढ़ाते रहे।।


हर पल को ऐसा जियो की ज़िन्दगी महकती रहे

फूलों की तरह उनको जीते और याद करते हुए।।



Rate this content
Log in

More hindi poem from Rakshita Batra