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Ashish Rahangdale

Others

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Ashish Rahangdale

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क्या तुमने सुना यह गान ?

क्या तुमने सुना यह गान ?

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अंधेरा छाया गरजा बादल

फिर लगी सावन की झड़ी बैठे-बैठे आंगन में

मैंने सुना एक मीठा लयबद्ध गान। 

क्या तुमने सुना यह गान ?


एक हवा के झोंके ने कुछ गुनगुनाया

तब टप टप गिरते नीर ने मधुर गान बनाया।

मैंने बूंदों को पत्तों के संग गुनगुनाते सुना

बैठे-बैठे आंगन में यह गान। 

क्या तुमने सुना यह गान ?


कोयल चहक रही थी डाल में

फिर मैना ने कुछ गुनगुनाया

ऊपर बैठे शुक ने भी गान गाया ,

पंछियों की टोली ने उड़ उड़ कर

पंख भिगोकर सावन गीत गाया।

मैंने बैठे-बैठे आंगन में सुना यह गान

क्या तुमने सुना यह गान ?


बारिश की ठंडक ने मुझे

आनंद रस में भिगोया

फिर पवन ने मुझे सहलाया

कोपलों ने बूंदों से भींग कर

नया गान बनाया।

मैंने बैठे-बैठे आंगन में सुना यह गान ।

क्या तुमने सुना यह गान?


अरे हां तुमने छतरी पर गिरती बूंदों का

करकश बेसुरा गान तो सुना ही होगा ना!

लेकिन मैंने यह गाना नहीं सुना ।

मैंने तो छत से, कवेलू से गिरती बूंदों का

मधुर गान सुना है

मैंने उनके संग गुनगुनाया है

लेकिन मैंने छतरी में गिरती बूंदों को

गुनगुनाते नहीं सुना।

क्या मैंने जो गाना सुना है

क्या वह गान तुमने सुना है आज तक?


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