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Shashi Shukla

Others

4.2  

Shashi Shukla

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क्या फर्क पड़ता है

क्या फर्क पड़ता है

1 min
260


किसी ने हाल हमारा पूछा तो मुस्कुरा दिए हम

माना मन तो उदास है पर क्या फर्क पड़ता है

कोई टूटा हुआ मिला तो हमने दर्द बांट लिया

हाँ खुद बिखरे पड़े हैं पर क्या फर्क पड़ता है


कोई गिर जाए गर तो उठा दिया करते हैं

हाँ खुद आज भी लड़खड़ाते हैं पर क्या

फर्क पड़ता है

लफ्ज़ खो गए जो तो खामोश रह गए

हाँ दिल अब भी चीखता है पर क्या

फर्क पड़ता है


शरीर माना ठीक है नसों में हलचल जारी है

पर कोई अंदर तो झाँक कर देखे के

ज़ख्म कितने ज़्यादा भारी है

धड़कने चलती तो हैं पर आज़ाद अब नहीं

कैद पिंजरे में हों जैसे पर क्या फर्क पड़ता।।


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