कुत्ते खाएं मलाई,बुलबुल लार टपकाये
कुत्ते खाएं मलाई,बुलबुल लार टपकाये
जीवन की अनोखी राहों पर, हम सबको मिलते अजीब खेल
दिलों में जो जजबात हैं, वो कह दे तो विद्रोही कहलाये
कविता की छाया में, वो भावनाओं को बयां करते।
अच्छाई की राह पर, जो चलते हैं निरंतर,
वो ही जीवन के सच्चे रंगों को पहचानते हैं।
बुराई की ओर जो दौड़ते हैं अविचलित,
कुत्ते जैसे होते हैं, नाली में मुंह मारते
हज़ारों लाखों बुलबुलें जैसे तरस रही हैं
कुछ दानों के लिए
संगीत छिन गया उनका
आपको समझ आया हो तो ठीक
नहीं तो आपको वक़्त समझा देगा जल्द ही
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