कुछ ख्वाब
कुछ ख्वाब
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कुछ अपना ख्वाब आज आप सब को बताती हूँ,
पापा की लाडली बेटी पापा का ख्वाब पूरा करना चाहती हूँ।
शिक्षक बन कर देश की बच्चों को शिक्षा देना चाहती हूँ।
मम्मी की प्यारी सी बेटी उनके भी ख्वाब पूरा करना चाहती हूँ।
समाज सेविका बन कर देश की सेवा करना चाहती हूँ।
और अन्धविश्वास दूर करना चाहती हूँ।
मम्मी पापा की ख्वाब देख कर अपना ख्वाब भूल सी जाती हूँ,
मैंने भी कभी सपना देखा था
मैं भुल सी जाती हूँ,
सपने पूरे कर आसमान छूना चाहती हूँ
अभी आसमान की उंचाई से बहत दूर हूँ
बहत जल्द आसमान छूना चहती हूँ।
