कुछ भी नहीं
कुछ भी नहीं
1 min
218
प्यार तो था, पर कहा किसी से कुछ भी नहीं
वफ़ा भी थी पर ऐतबार कुछ भी नहीं
दोस्ती की वो नयी दुनिया बना गये
तो उनसे दूर होने का गिला कुछ भी नहीं
बातें नज़रों से हुई थीं, लबों पर था कुछ भी नहीं
दिल की बात दिल ही में रही, हुआ कुछ भी नहीं
अब जब वो चला ही गया जिन्दगी से
उसकी यादों के सिवा, साथ कुछ भी नहीं
लबों पर मुस्कान के सिवा कुछ भी नहीं
बन्दिशें तोड़ कर कहा, टूटा कुछ भी नहीं
उसके आँगन का फूल भी कहता है
वो सूरजमुखी था, बिन सूरज खिला कुछ नहीं