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ख़ुशी

ख़ुशी

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तू बड़ा मनोहर प्यारा और दुलारा है, 

दुनिया से परे तू दिल का मेरे तारा है।


तू ठुमक-ठुमक के पग जब अपने धरता है,

दिल का कोना-कोना ख़ुशियों से भरता है।


किलकारी तेरी पंछी के कलरव जैसी,

और चंचलता तेरी लगती अभिनव जैसी। 


तेरी हर बात मुझे ख़ुशियाँ दे जाती है,

तेरा हठ, तेरी हर ज़िद मन को भाती है।


जब रोटी को,’टोटी’-कहकर मुझसे माँगे,

तब जाने क्यों एक अहंकार मुझ में जागे।


सोचूँ कि मुझ-सी क़िस्मत किसने पाई है,

किसके घर मेरे लाल सा कुँवर कन्हाई है।


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