Ruba Begum

Others

5.0  

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जिन्दगी

जिन्दगी

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जिन्दगी एक खुली किताब सी है,

हर दिन एक नये पन्ने जैसा है।

कभी उन पन्नों में ढ़ेर सारी

ख़ुशियाँ, तो कभी उन पन्नों में

दुखों का अहसास।


जैसे किताब हमारी सबसे

अच्छी दोस्त होती है,

वैसे ही जिन्दगी भी है ,

हमें बहुत कुछ सिखाती है।


कभी हमसे रूठ जाती है,

तो कभी हमें ही मनाती है।

जिन्दगी हमें बहुत सारे

अनुभव कराती है,

और ढ़ेर सारी खट्टी- मीठी

यादों से भर जाती है।।


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