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Richa Pitliya

Others

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Richa Pitliya

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ज़िंदगी भी मसालों सी

ज़िंदगी भी मसालों सी

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ज़िंदगी भी मसालों सी हो गयी है

कभी मीठी तो कभी बहुत तीखी

सी हो गयी है


कभी हँसती है

कभी रुलाती है


कभी किसी के पास ले जाती है तो

कभी किसी से दूर


कभी अपने पराए हो जाते है तो

कभी पराए अपने हो जाते है


ऐसे स्वाद बदलती है

जैसे इंसान ना हो सब्ज़ी हो गयी हो


ज़िंदगी भी मसालों सी हो गयी है॥


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