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Mahesh Gupta Jaunpuri

Others

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Mahesh Gupta Jaunpuri

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जीवन का सफर

जीवन का सफर

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कंचे गिल्ली चिलर पाती खेल बड़े सुहाने थे

बचपन के दिन जो बीत गये वो अनमोल खजाने थे

जवानी की दलीज पर जब से हम आये हैं 

पैसा इमान पैसा पहचान इंसान का यही चोला हैं


बचपन जवानी बुढ़ापे के सफर के तजुर्बे में 

बचपन आज भी खुशहाल मदमस्त रंगीन तराने हैं

मोह माया को छोड़ चलो एक सफर तय करते हैं 

जहाँ तू भी खुश मैं भी खुश ऐंसे शहर में चलते हैं


गाँव के पगडण्डी पर फिर से हुडदंग मचाते हैं

बचपन की सारी बातो को फिर से दोहराते हैं

रिश्ते की बागडोर में एक नया रंग भरते हैं

चलो चले फिर से बच्चे बनकर जीते हैं 


बहुत हो गया अब जिम्मेदारी की गठरी ढ़ोतेे ढ़ोते

चलो चलते फिर से बचपन के उसी गली में हँसने

लालच हवस को तु भी छोड़ दे मैं भी छोड़ दूँ

तू मेरा बचपन लौटा दे मैं तेरा बचपन लौटा दूँ


     


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