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चेतना प्रकाश चितेरी , प्रयागराज

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चेतना प्रकाश चितेरी , प्रयागराज

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जग से न्यारी, मेरी प्यारी मां!

जग से न्यारी, मेरी प्यारी मां!

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जग से न्यारी, मेरी प्यारी मां

तू करुणा की सागर, ममता की मूरत

मुझसे स्नेह करती अपार, तुझसे ही मेरी अस्मिता

सबसे अच्छी!मेरी प्यारी मां!


हर पग, चलना सिखाया

मुश्किलों से, लड़ना बताया

सदा मुझको, हृदय से लगा के रखा।

कभी अपने से दूर ,मुझको न किया मेरी मां


बाबुल का घर छोड़, ससुराल आई

सच! कहती हूं मेरी मां ,तेरी बहुत याद आई,

मेरी आंखें तुझको, ढूंढती है मां

दुलार से मेरा नाम पुकारना,अब न कोई बुलाता है मां,

तू अप्रतिम है ,मेरी मां!।



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