जब हमें
जब हमें
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तूने ही उलझाया है प्रभु तो अब तू ही हमें सुलझाएगा
इस जीवन की क्या है कहानी, बस तू ही हमें समझाएगा...!
अक्सर सोचते सोचते ही लम्हा खत्म हो जाता है
तेरी माया समझ न आए, यहां पल में क्या से क्या हो जाता है...!
कितनी खुशियां हैं जीवन में, पर यह मन क्या चाहता है
पगला सा यह अंतर्मन अपना जाने, क्या क्या हमसे करवाता है...!
ज़िंदगी की यह कहानी तो जैसे सदियों से भी अंजानी है
माना यहां एक जीवन तो बीत गया पर, कहानी तो आगे जानी है...!
बीत जाते हैं जीवन यहां पर, पर यह ज़िंदगी चलती रहती है
और इस जीवन का हर लम्हा अनमोल है जिंदगी यही कहती है...!
तेरी माया तू ही जानें प्रभु हम तो निपट अज्ञानी है
तेरी मर्ज़ी से चलता है जीवन, जीवन की इतनी सी कहानी है…!
